Wednesday October 30, 2024
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लक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बौराड़ी, नई टिहरी टिहरी गढ़वाल

लक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बौराड़ी, नई टिहरी टिहरी गढ़वाल
लक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बौराड़ी, नई टिहरी टिहरी गढ़वाललक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बौराड़ी, नई टिहरी टिहरी गढ़वाललक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बौराड़ी, नई टिहरी टिहरी गढ़वाल
लक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बौराड़ी, नई टिहरी, टिहरी गढ़वाल

सरस्वती शिशु मन्दिर बौराड़ी नई टिहरी के पीछे स्थित है लक्ष्मी-नारायण मन्दिर। पुरानी टिहरी नगर में अन्य मन्दिरों की भांति  लक्ष्मी-नारायण मन्दिर भी राजा के अधीनस्थ था। टिहरी बांध परियोजना के कारण जब नगर का विस्थापन होने लगा तो मन्दिरों को भी विस्थापित किया जाने लगा। इस क्रम में नगर के सभी मन्दिरों की नई टिहरी नगर में स्थापना की जाने लगी। मन्दिर की स्थापना वर्ष २००१ में की गई थी, इस कारण नगर की तरह ही यह  लक्ष्मी-नारायण मन्दिर भी ज्यादा पुराना नहीं है। वर्ष २००१ में कदाचित जब मन्दिर को विस्थापित किया गया होगा उस समय आस-पास घर नहीं रहे होंगे लेकिन अब मन्दिर के चारों तरफ बने मकानों के कारण मन्दिर की भव्यता सड़क से नहीं दिखाई देती है। क्योंकि पुरानी टिहरी में यह मन्दिर राजा के अधीनस्थ था अत: निश्चय ही इस मन्दिर का कोई प्राचीन इतिहास रहा होगा लेकिन विस्थापन तथा जानकारियों के सहीं संरक्षण के आभाव में मन्दिर के पुजारी श्री टेकेन्द्र पन्त जी मन्दिर के किसी प्राचीन इतिहास को हमें बताने में असमर्थ रहे।

मन्दिर में दो कक्ष आमने सामने बने हैं जिनमें एक बड़े कक्ष में श्रीभगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की वरद मुद्रा में भव्य प्रतिमायें स्थापित हैं। जबकि सामने वाले छोटे कक्ष में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। दोनों कक्षों के बीच में एक विशाल मण्डप है।  पुजारी श्री पंत जी के अनुसार मन्दिर की व्यवस्था प्रबन्धन हेतु किसी समिति का गठन नहीं किया गया है। वे स्वयं मन्दिर के चढ़ावे से ही व्यवस्था-प्रबन्धन देखते हैं। राजा की तरफ से मन्दिर के पुजारी का १५/- (पन्द्रह रुपये) मासिक वेतन, और मन्दिर के पूजा-पाठ तथा अन्य व्यवस्था-प्रबन्धन हेतु १००००/- (दस हजार रुपये) वार्षिक बन्धान निर्धारित था लेकिन वर्ष १९९८ से अब तक वेतन और बन्धान राशि दोनों में से कुछ भी नहीं दिया गया।

पुरानी टिहरी में राजा के अधीन कुछ और मन्दिर थे जिनकी स्थापना नई टिहरी में नहीं हो पाई जैसे नर्मदेश्वर महादेव मन्दिर, कालिका मन्दिर, शीतला माता मन्दिर। बौराड़ी स्थित सत्येश्वर महादेव के मन्दिर में महन्त जी से मिली जानकारी के अनुसार संभवतया सत्येश्वर महादेव मन्दिर परिसर में निर्मित अन्य दो छोटे मन्दिर में से एक कालिका मन्दिर के लिये बनवाया गया था परन्तु स्थापना संबन्धित किसी मतभेद को लेकर इस मन्दिर की स्थापना नहीं हो पाई थी।



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Comments

1

अवनीश नौटियाल | February 10, 2014
बहुत ही मनमोहक स्थान, मै कई बार इस मन्दिर में गया हूं अपार शान्ति का अनुभव होता है यहां

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