रुद्रप्रयाग
उत्तराखण्ड में रूद्रप्रयाग जनपद का धार्मिक दृष्टि से अपना ही महत्व है। लगभग २४३९ वर्ग किमी० के क्षेत्रफल में बसा यह जनपद समुद्रतल से लगभग ६१० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। रूद्रप्रयाग जनपद के दक्षिण पूर्व में चमोली जनपद, पश्चिम में टिहरी जनपद, उत्तर में चमोली तथा उत्तरकाशी, एवं दक्षिण में पौड़ी जनपद स्थित है। जनपद का जनसंख्या घनत्व ११९ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर, साक्षरता दर ८२.०९ % (पुरूष : ९४.९७% तथा महिला ७०.९४%) तथा लिंगानुपात १०००:११२० है। प्रशासनिक दृष्टि से यह जनपद तीन सामुदायिक विकासखण्डों (अगस्त्यमुनि, जखोली, उखीमठ) में बंटा हुआ है।
रुद्रप्रयाग जनपद की स्थापना १६ सितंबर १९९७ को हुई थी । जनपद का निर्माण चमोली जिले के अगस्त्यमुनि व उखीमठ विकासखण्ड पूरी तरह से तथा पोखरी और कर्णप्रयाग विकासखण्ड का कुछ हिस्सा, टिहरी जनपद के जखोली तथा कीर्तिनगर विकासखण्ड का कुछ हिस्सा तथा पौड़ी जनपद से खिर्सू विकासखण्ड का कुछ हिस्सा लेकर किया गया। रुद्रप्रयाग नगर को जनपद का मुख्यालय बनाया गया । अलकनन्दा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित इस स्थान के बारे में मान्यता है कि यहां भगवान शिव स्वयं "रुद्रनाथ" के रुप में यहां विराजमान हैं । स्थानीय मान्यताओं के अनुसार अलकनन्दा और मंदाकिनी दोनों नदियों को बहनों की संज्ञा दी गई है, कहा जाता है कि अलकनन्दा गौरवर्ण व मन्दाकिनी श्यामवर्ण की थी जिसका अन्तर आज भी दोनों नदियों के पानी के रंगों में देखने को मिलता है ।
पौराणिक मान्यताओं के संदर्भ में, स्कन्दपुराण केदारखण्ड से प्राप्त वर्णन के अनुसार महाभारत काल में पाण्डवों ने युद्ध विजय के उपरान्त अपने कौरव भाईयों की हत्या के पश्चाताप हेतु अपने राज्य का त्याग करके मंदाकिनी नदी के तट पर केदारनाथ पहुंच गये तथा यहीं से स्वर्गारोहिणी के द्वारा स्वर्ग को प्रस्थान किया। केदारखण्ड के अनुसार इसी स्थान पर महर्षि नारद ने भगवान शिव की, एक पैर पर खड़े रहकर उपासना की थी जिनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने महर्षि नारद को रुद्र रुप में आकर दर्शन दिये थे यही वह स्थान है जहां महर्षि नारद ने रुद्र रुप भगवान से संगीत की शिक्षा ली थी और यहीं पर भगवान शिव ने उन्हें वीणा प्रदान की थी । इस स्थान पर शिव और माता जगदम्बा के मन्दिर हैं जिनका बहुत धार्मिक महत्व है । उत्तराखण्ड के पंचप्रयागों में से एक रूद्रप्रयाग का भी अपना ही महत्व है । रूद्रप्रयाग, ऋषिकेश से श्रीनगर होते हुए लगभग १४५ किमी० की दूरी पर स्थित यह सुन्दर स्थान है । उत्तराखण्ड चारधाम यात्रा में रुद्रप्रयाग का अत्यधिक महत्व इसलिये भी है क्योंकि प्रसिद्द धाम श्री बद्रीनाथ एवम श्री केदारनाथ की यात्रा हेतु रास्ते अलग अलग यहीं से होते हैं । यह पूरा क्षेत्र विशाल प्रकृतिक सौन्दर्य, ताल, ग्लेशियर व धर्मिक महत्व के स्थानों के स्थानों से परिपूर्ण है ।
जनपद का अधिकतर हिस्सा वाह्य हिमालय की दक्षिणी ढलानों पर बसे होने के कारण जनपद की जलवायु समुद्रतल से ऊंचाई पर निर्भर करती है । नवंबर से मार्च तक का समय इस जनपद में सर्दियों का मौसम रहता है । क्योंकि जनपद पूरी तरह से पर्वतीय श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है अत: जनपद में मानसून धारायें घाटी के माध्यम से प्रवेश करती हैं तथा जून से सितंबर तक भारी वर्षा करती हैं। जनपद का अधिकतम तापमान ३४ डिग्री०से० तथा न्यूनतम तापमान शून्य तक चला जाता है। जनवरी माह के समय जनपद का तापमान सबसे अधिक ठण्डा रहता है जो कि जनवरी के बाद जुलाई तक धीरे धीरे बढ़ता रहता है। पूरे जनपद में तापमान ऊंचाई के साथ साथ बदलता रहता है। ऊंचाई वाले स्थानों पर सर्दियों में हिमपात होता है। अलकनन्दा तथा मन्दाकिनी नदियां जनपद की मुख्य नदियां हैं। मन्दाकिनी नदी केदारनाथ पर्वत शिखर पर स्थित चोराबरी ग्लेशियर से निकलकर ढलानों से बहते हुये रूद्रप्रयाग में अलकनन्दा नदी से मिलती है । जनपद के उत्तर में लगभग ९६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला केदारनाथ वन्य जीव अभारण्य स्थित है। वनों में मानवों के बढ़ते हुये हस्तक्षेप को देखते हुये वन तथा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु इस अद्वितीय परियोजना की स्थापना की गई थी। इस वन्य जीव अभारण्य में कस्तूरी मृग, हिम तेन्दुआ, भूरा भालू, भरल, काला भालू तथा पक्षियों में मोनाल, तीतर, चकोर तथा बर्फ में पाये जाने वाले कबूतर मिलते हैं। जनपद की मुख्य फसलों में चावल, गेहूं, आलू, दाल, मण्डुवा, झन्गोरा, सब्जियां तथा बाजरा हैं।
रुद्रप्रयाग जनपद अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त "केदारनाथ मन्दिर" के लिये प्रसिद्ध है। इसके अलावा तुंगनाथ, मद्यमहेश्वर, उखीमठ, कालीमठ, कोटेश्च्वर महादेव, उम्र-नारायण, धारीदेवी, त्रिजुगीनारायण मंदिर भी इसी जनपद में स्थित हैं। इसके अलावा अगस्त्यमुनि, गुप्तकाशी, जखोली, सोनप्रयाग, खिर्सू, गौरीकुण्ड, देवरियाताल, चोपता, गांधीसरोवर और वासुकीताल आदि भी यहां आकर्षण का केन्द्र हैं। आवागमन के मुख्य साधनों में गढ़वाल मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड (जीएमओयू लि.), टिहरी गढ़वाल मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड (टीजीएमओयू लि.), यातायात और परिवहन विकास सहकारी संघ लि०, रूपकुण्ड ट्रैवल्स लि०, सीमान्त सहकारी संघ लि० व उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसें हैं जो रुद्रप्रयाग जनपद को देहरादून, उत्तरप्रदेश, दिल्ली व उत्तराखण्ड के अन्य जनपदों से जोड़ती हैं। साथ ही जनपद के सभी मुख्य नगरों में टैक्सी यूनियन भी हैं जो कि वर्ष भर निरंतर पर्यटकों का आवागमन आसान करती हैं। जनपद का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन लगभग १४२ किमी० कि दूरी पर ऋषिकेश में स्थित है । जनपद का निकटतम एअरपोर्ट जौलीग्रांट देहरादून स्थित है जो कि रुद्रप्रयाग से लगभग १६० किमी० की दूरी पर स्थित है ।