बागेश्वर
बागेश्वर जनपद धार्मिक गाथाओं, पर्व आयोजनों एवं अति आकर्षक प्राकृतिक दृश्यावलियों के लिये प्रसिद्ध है। लगभग २३१० वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्रफल में फैले बागेश्वर जनपद के उत्तर में चमोली जनपद, पूर्व एंव दक्षिण-पूर्व में पिथौरागढ़ जनपद, पश्चिम एवं दक्षिण-पश्चिम में अल्मोड़ा जनपद स्थित है। जनपद का जनसंख्या घनत्व ११६ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर, साक्षरता दर ८०.६९% (पुरुष: ९३.२०%, स्त्री: ६९.५९%) तथा लिंगानुपात १०००:१०९३ है। प्रशासनिक दृष्टि से यह जनपद चार तहसीलों (कपकोट, बागेश्वर, गरूड़, कान्डा) तथा तीन सामुदायिक विकासखण्डों (कपकोट, बागेश्वर, गरूड़) में विभाजित है।
जनपद का मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थापित है। कुमाऊं प्रभाग का मुख्य पर्यटक स्थल बागेश्वर सरयू तथा गोमती तथा विलुप्त होती सरस्वती नदियों के संगम-तट पर बसा यह नगर अल्मोड़ा से लगभग ९० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तेरहवीं शताब्दी के मन्दिर बागेश्वर में बागेश्वरनाथ की प्राचीन मूर्ति है जिसे स्थानीय जनता बाघनाथ के नाम से जानती है। मकर संक्रान्ति के दिन यहां उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा मेला लगता है।
पौराणिक सन्दर्भॊं में स्कन्दपुराण के मानसखण्ड के अनुसार बागेश्वर की उत्पत्ति आठवीं सदी के आस-पास की मानी जाती है। १९५५ तक बागेश्वर ग्राम सभा में आता था। १९५५ में इसे टाउन एरिया माना गया। सन् १९६२ में इसे नोटिफाइड ऐरिया व १९६८ में नगरपालिका के रूप में पहचान मिली। १९९७ में इसे जनपद बना दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम में भी बागेश्वर का बड़ा योगदान है। कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर यहाँ के लोगों ने अपने अंचल में गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन शुरआत सन १९२० ई. में की थी।
आवागमन के मुख्य साधनों में कुमाऊं मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड (केएमओयू लि.), व उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसें हैं जो बागेश्वर जनपद को नियमित सेवा द्वारा देहरादून, दिल्ली व उत्तराखण्ड के अन्य जनपदों से जोड़ती हैं। साथ ही जनपद के सभी मुख्य नगरों में टैक्सी यूनियन भी हैं जो कि वर्ष भर निरंतर पर्यटकों का आवागमन आसान करती हैं। जनपद का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन लगभग १८० किमी० कि दूरी पर काठगोदाम में स्थित है। जनपद का निकटतम एअरपोर्ट पंतनगर में २०६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।