पिथौरागढ़
उत्तराखण्ड राज्य के पूर्व में स्थित सीमान्त जनपद है "पिथौरागढ़"। ७११० वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्रफल में फैले हुये पिथौरागढ़ जनपद के उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व में अल्मोड़ा तथा उत्तर पश्चिम में चमोली जनपद है। हालांकि पिथौरागढ़ का अधिकांश भाग पर्वतीय एवं ऊबड़-खाबड़ है परन्तु पर्यटन की दृष्टि से यह जनपद अति महत्वपूर्ण है। जनपद का जनसंख्या घनत्व ६९ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर, साक्षरता दर ८२.९३% (पुरूष: ९३.४५% तथा स्त्री ७२.९७%) तथा लिंगानुपात १०००:१०२१ का है। प्रशासनिक दृष्टि से यह जनपद छह तहसीलों (मुन्स्यारी, धारचूला, डीडीहाट, गोगाना, पिथौरागढ़ तथा बेरीनाग) तथा
बारह सामुदायिक विकासखण्ड (पिथौरागढ़, डीडीहाट, कनालीछीना, धारचूला, गंगोलीहाट, मुन्स्यारी, बेरीनाग, मुनाकोट, लोहाघाट, चंपावत, पाटी तथा बाराकोट) जिनमें ८७ न्यायपंचायतें, ८०८ ग्रामसभायें और कुल छोटे-बड़े २३२४ गांव हैं।
जनपद का मुख्यालय समुद्रतल से १६१५ मीटर की ऊंचाई पर बसे पिथौरागढ़ नगर में है जो कि लगभग ६.४७ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में बसा हुआ है। पिथौरागढ़ नगर सैलानियों का स्वर्ग है जो कि लगभग ८ किलोमीटर लंबी एवं लगभग १५ किलोमीटर चौड़ी रमणीय घाटी में बसा हुआ है, जिसे प्राचीन अभिलेखों में सोरघाटी के नाम से जाना जाता था। यह जनपद मनोरम झीलों, स्वच्छ झरनों, दूर तक फैले ग्लोशियरों, सुन्दर-सुन्दर घाटियों, कल-कल करती हुई नदियों तथा ऊंची-ऊंची चोटियों के लिये प्रसिद्ध है और शायद इसी लिये इसे "लिटिल कश्मीर" के नाम से भी जाना जाता है।
पिथौरागढ़ के इतिहास के बारे में लोगों के अलग अलग विचार हैं, कुछ लोगों के अनुसार पिथौरागढ़ को चंद वंश के राजा पिथौरा चंद के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हैं जबकि अन्य लोग चौहान राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान को नामित करते हुये बताते है कि सोर-घाटी में "पिथौरा गढ़" किले की स्थापना की थी। सच्चाई चाहे कुछ भी रही हो परन्तु यह सत्य है कि पिथौरगढ़ का किला समय समय पर कुंमाऊ पर हुये सभी आक्रमणों का मूक साक्षी है।
पिथौरागढ़ का मौसम घाटी में बसे होने के कारण गर्मियों में गर्म व सर्दियों में ठण्डा रहता है। दिसंबर और जनवरी के ठंडे महीनों के दौरान, उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण पर्वतश्रृंखलायें और उच्च स्थान पर जमकर हिमपात होता है। इस दौरान जनपद का औसतन तापमान ८.४४ डिग्रीसे० रहता है। सम्पूर्ण पिथौरागढ़ जनपद में ऊंचाई बदलने के साथ साथ तापमान में अत्यधिक बदलाव देखा जा सकता है। जनपद में मार्च से जून तक का समय जनपद में गर्मियों का होता है । ३००० से ३५०० मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्र छह माह तक बर्फ में ढके रहते है जबकि ३५०० मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र हमेशा बर्फ से ढके रहते हैं। गर्मियों में जनपद का औसत तापमान लगभग २३.१९ डिग्रीसे० रहता है। जून से सितंबर तक जनपद में बरसात का मौसम रहता है जिसमें कि जमकर मानसूनी वर्षा होती है। जनपद में औसतन वर्षा लगभग १०५१.४४ मिमी तक होती है। सेब, हिमालयी नाशपाती, पीला प्लम, संतरा, शहतूत, लाल मसूर, तुअर दाल इस जनपद की मुख्य फसलें हैं।
आवागमन के मुख्य साधनों में कुमाऊं मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड (केएमओयू लि.), व उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसें हैं जो पिथौरागढ़ जनपद को नियमित सेवा द्वारा देहरादून, दिल्ली व उत्तराखण्ड के अन्य जनपदों से जोड़ती हैं। साथ ही जनपद के सभी मुख्य नगरों में टैक्सी यूनियन भी हैं जो कि वर्ष भर निरंतर पर्यटकों का आवागमन आसान करती हैं। जनपद का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन लगभग १५१ किमी० कि दूरी पर टनकपुर में स्थित है जबकि काठगोदाम रेलवेस्टेशन पिथौरागढ़ से लगभग २१२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जनपद का निकटतम एअरपोर्ट नैनी सैनी में ५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जबकि नियमित वायुयान सेवा केवल पंतनगर स्थित एअरपोर्ट से ही मिल पाती हैं जो कि अल्मोड़ा राजमार्ग द्वारा पिथौरागढ़ से लगभग २५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।