Thursday November 21, 2024
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नैनीताल

कुमाऊं प्रभाग के ३८५३ वर्ग किलोमीटर में फैले नैनीताल जनपद का कुमाऊं क्षेत्र में विशेष महत्व है। नैनीताल जनपद "छखाता" परगने में आता है, जिसकी उत्पत्ति "षष्टिखात" के अपभ्रंश से हुई है जिसका तात्पर्य साठ तालों से है। कहा जाता है कि इस परिक्षेत्र में लगभग साठ से अधिक ताल थे। आज भी नैनीताल जनपद भारत वर्ष में सबसे अधिक ताल हैं इसीलिये इसे भारत का "लेक डिस्ट्रिक्ट" भी कहा जाता है। नैनीताल जनपद के उत्तर में अल्मोड़ा जनपद एवं पौड़ी गढ़वाल, दक्षिण एवं पश्चिम में उधमसिहं नगर जनपद, एवं पूर्व में चंपावत जनपद है। जनपद का जनसंख्या घनत्व २२५ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर, साक्षरता दर ८४.८५% (पुरुष: ९१०९% एवं स्त्री: ७८.२१%) तथा लिंगानुपात १०००:९३३ है। जनपद प्रशासनिक दृष्टि से यह जनपद आठ तहसीलों (कोस्याकुतोली, नैनीताल, धारी, हल्द्वानी, रामनगर, कालढूंगी, बेतालघाट तथा लालकुंआ) तथा आठ सामुदायिक विकासखण्डों (बेतालघाट, भीमताल, दारिमा, हल्द्वानी, काठगोदाम, ओखलकांडा, रामगढ़, रामनगर) में विभाजित है। जनपद का मुख्यालय नैनीताल शहर है जो कि समुद्रतल से १९३४ मीटर की ऊंचाई पर शिवालिक पर्वतश्रेणी पर स्थित है। १८४१ में स्थापित यह नगर भारतवर्ष का एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। नैनीझील के आस पास बसे इस नगर के चारों तरफ वनाच्छादित पर्वत हैं। इस नगर तथा खूबसूरत झील में नौकायन का आनन्द लेने के लिये लाखों देशी-विदेशी पर्यटक यहां आते हैं। इस ताल की लंबाई १३५८ मीटर, चौड़ाई ४५८ मीटर और गहराई १५ से १५६ मीटर तक आंकी गई है। इस ताल के जल की विशेषता यह है कि इस ताल में संपूर्ण पर्वतमाला और वृक्षों का स्पष्ट प्रतिबिंब दिखाई देता है और इस ताल का पानी गर्मियों में हरा, बरसात में मटमैला, और सर्दियों में हल्का नीला हो जाता है।

पौराणिक संदर्भों में स्कन्दपुराण के मानसखण्ड में इस स्थान का "त्रि-ऋषिताल" नाम से उल्लेख किया गया है, कि अत्रि, पुलत्स्य और पुलह तीन ऋषि गर्गांचल की ओर जा रहे थे इस स्थान की रमणीकता पर वे अत्यधिक मुग्ध हुये परन्तु काफी ढूंढने पर भी इस स्थान पर पानी नही मिलने पर उन्होनें मानसरोवर का स्मरण कर अपने त्रिशूलों से गढ्ढा खोदकर झील का निर्माण किया जिसमें पानी निकल आया। इस झील की बारें में कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना कि मानसरोवर नदी से मिलता है। कुछ लोगों का मानना है कि इन तीन ऋषियों ने तीन स्थानों पर अलग अलग ताल नैनीताल, खुरपाताल और चाफी का मालवाताल का निर्माण किया था जिन्हें "त्रि-ऋषि सरोवर" होने का गौरव प्राप्त है। एक और पौराणिक कथा के अनुसार जब प्रजापति दक्ष के हवनकुण्ड में देवी ऊमा के सती होने के बाद जब शिव सती के जलते हुये शरीर को कन्धे पर लेकर आकाश मार्ग से जा रहे थे तब देवी के शरीर के अंग जहां जहां भी गिरे वहां शक्तिपीठ बन गये। नैनीताल स्थित नैनादेवी का मंदिर भी उन्ही ६४ शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि इस स्थान पर देवी के "नयन" गिरे थे अत: यहां शिवपत्नी नंदादेवी (पर्वती) की पूजा नैनदेवी के रूप में होती है। नन्दा देवी गढ़वाल और कुमांऊ के राजाओं की इष्टदेवी रही है इसी लिये गढ़वाल और कुमांऊ में प्रतिवर्ष नन्दा अष्टमी के दिन मां नंदापर्वती की विशेष पूजा होती है। तथा नंदा को मायके से ससुराल भेजने के लिये भी नन्दा राजजात का अयोजन गढ़वाल में महाकुंभ की तरह किया जाता है। एतिहासिक विवरणों से ज्ञात होता है कि नैनीताल की स्थापना वर्ष १८४१ में पी० बैरून नामक यूरोपियन मूल के एक व्यक्ति द्वारा की गई जो कि रोजा जिला शाहजाहांपुर में चीनी का व्यापार किया करता था। नैनीताल अंग्रेजों का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय भी था अत: उस समय इसे "समर कैपिटल" भी कहा जाता था।

जनपद का औसत तापमान गर्मियों में ३२.२५ डिग्री से० व सर्दियों में १४.३७ डिग्री से० रहता है। गर्मियों में जहां एक तरफ जनपद के मैदानी क्षेत्रों में अत्यधिक गरमी पड़ती है वहीं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम सुहावना रहता है। सर्दियों में जनपद में काफी ठण्डा मौसम रहता है तथा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात भी होता है। जून मध्य से सितंबर तक का समय जनपद में वर्षाकाल का रहता है जिसमें औसतन लगभग ८६४.८ मिमी वर्षा होती है। जनपद की मुख्य फसलों में चावल, मक्का, मटर, मसूर, जौ, चना तथा अरहर इत्यादि होते हैं।

आवागमन के मुख्य साधनों में कुमाऊं मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड (केएमओयू लि.), व उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसें हैं जो नैनीताल जनपद को देहरादून, उत्तरप्रदेश, दिल्ली व उत्तराखण्ड के अन्य जनपदों से जोड़ती हैं। नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या ८७ से जुड़ा हुआ है अत: दिल्ली, आगरा, देहरादून, हरिद्वार, मुरादाबाद, लखनऊ, कानपुर और बरेली की बसें यहां से नियमित रूप से चलती हैं। साथ ही जनपद के सभी मुख्य नगरों में टैक्सी यूनियन भी हैं जो कि वर्ष भर निरंतर पर्यटकों का आवागमन आसान करती हैं। जनपद का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन लगभग ३५ किमी० कि दूरी पर काठगोदाम में स्थित है । जनपद का निकटतम एअरपोर्ट पंतनगर में स्थित है जो कि नैनीताल से लगभग ७१ किमी० की दूरी पर स्थित है ।

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