गढ़वाल के प्रवेशद्वार कोटद्वार कस्बे से कोटद्वार-पौड़ी राजमार्ग पर लगभग ३ कि०मी० आगे खोह नदी के किनारे बांयी तरफ़ एक लगभग ४० मीटर ऊंचे टीले पर स्थित है गढ़वाल प्रसिद्ध देवस्थल सिद्धबली मन्दिर। यह एक पौराणिक मन्दिर है । कहा जाता है कि यहां तप साधना करने के बाद एक सिद्ध बाबा को हनुमान की सिद्धि प्राप्त हुई थी । सिद्ध बाबा ने यहां बजरंगबली की एक विशाल पाषाणी प्रतिमा का निर्माण किया। जिससे इसका नाम सिद्धबली हो गया (सिद्धबाबा द्वारा स्थापित बजरंगबली) । कहा जाता है कि ब्रिटिश शासनकाल में एक खान सुपरिटेंडैण्ट जो कि मुसलमान थे घोड़े से कहीं जा रहे थे, जैसे ही वह सिद्धबली के पास पहुंचे बेहोश हो गये। उनको स्वपन हुआ कि सिद्धबली कि समाधि पर मन्दिर बनाया जाय। जब उन्हें होश आया तो उन्होने यह बात आस-पास के लोगों को बताई और वहां तभी से यह प्राचीन मन्दिर अस्तित्व में आया। प्राचीन समय में यह एक छोटा सा मन्दिर था। किन्तु पौराणिकता और शक्ति की महत्ता के कारण श्रद्धालुओं ने इसे भव्यता प्रदान कर दी है।
यह मन्दिर न केवल हिन्दू-सिक्ख धर्मावलंबियों का है अपितु मुसलमान भी यहां मनौतियां मांगने आते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु लोग दक्षिणा तो देते हैं ही यहां भण्डारा भी आयोजित करते हैं । इस स्थान पर कई अन्य ऋषि मुनियों का आगमन भी हुआ है। इन संतो में सीताराम बाबा, ब्रह्मलीन बाल ब्रह्मचारी नारायण बाबा एवं फलाहारी बाबा प्रमुख हैं। यहां साधक को शांति अनुभव होती है।
यह मन्दिर का अदभुत चमत्कार ही है कि खोह नदी में कई बार बाढ़ आई किन्तु मन्दिर ध्वस्त होने से बचा है। यद्यपि नीचे की जमीन खिसक गई है किन्तु मन्दिर आसमान में ही लटका हुआ है। यहां प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं के द्वारा मेले का आयोजन होता है। जिसमें सभी धर्मों के लोग भाग लेते हैं।
कोटद्वार पौड़ी मोटरमार्ग पर कोटद्वार से लगभग १३ किलोमीटर आगे खोह नदी के किनारे समुद्र की सतह से ६०० मीटर की ऊंचाई पर मुख्यमार्ग पर स्थित है "दुर्गादेवी मन्दिर"। आधुनिक मन्दिर सड़क के पास स्थित है परन्तु प्रचीन मन्द...
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