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रामबाण औषधी है पूज्यनीय तुलसी

AdministratorMay 10, 2013 | अध्यात्म

भारत के प्रत्येक भाग में तुलसी के पौधे पाये जाते हैं इसका पौधा बड़ा वृक्ष नहीं बनता केवल डेढ़ या दो फुट तक बढ़ता है। तुलसी का वानस्पतिक नाम ओसीमम सैन्कटम है। आदिवासी अंचलों मे पानी की शुध्दता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डाल दिए जाते है और कम से कम एक सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा जाता है।

इसके उपरांत कपड़े से पानी को छान लिया जाता है और फ़िर यह पीने योग्य माना जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। तुलसी एक ऐसी रामबाण औषधि है जो हर प्रकार की बीमारियों में काम आती है जैसे- स्मरण शक्ति, हृदय रोग, कफ, श्वास के रोग, प्रतिश्याय, खून की कमी, खॉसी, जुकाम, दमा और दंत रोग आदि।

किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढा शहद के साथ नियमित ६ माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है। दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करती है।

इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलायें और रात को चेहरे पर लगाये तो झाईयां नहीं रहती, फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है। फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है।

पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधी मानते है, इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है। इसके नियमित सेवन से ‘क्रोनिक-माइग्रेन‘ के निवारण में मदद मिलती है।

साभार : डॉ. दीपक आचार्य http://www.pravasiduniya.com



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