पौड़ी गढ़वाल
लगभग ५४४० वर्ग किमी० के भौगोलिक क्षेत्रफल में बसे जनपद पौड़ी गढ़वाल का मुख्यालय समुद्रतल से १८१४ मीटर की ऊंचाई पर बसे नगर पौड़ी में स्थित है । पौड़ी के उत्तर में चमोली, रूद्रप्रयाग और टिहरी, दक्षिण में ऊधमसिंहनगर, पूर्व में नैनीताल, और अल्मोड़ा, तथा पश्चिम में देहरादून और हरिद्वार जनपद स्थित हैं। यह नगर दक्षिण-पूर्व में १८८७ मीटर ऊंची बुवाखाल की पहाड़ियों के उत्तरी ढाल से लेकर उत्तर पश्चिम में किंकालेश्वर की पहाड़ियों के पूर्वी ढालों के मध्य बसा है।
३० नवम्बर १८१५ को गोरखाओं पर विजय प्राप्त कर अंग्रेजों ने मंदाकिनी तथा अलकनन्दा के पूर्वी भाग को अपने आधीन कर लिया तथा इसे ब्रिटिश गढ़वाल का नाम दिया। सन १८४० में इसे मुख्यालय बनाया तथा १८४९ में इसे नोटिफाईड एरिया दर्ज करा दिया गया। १५ नवम्बर १९५७ को इसे नगरपालिका बनाया गया, सन १८६९ ई० को यह गढ़वाल कमिश्नरी का मुख्यालय बना। वर्ष १९९२ में पौड़ी नगर को पर्यटन नगर घोषित कर दिया गया। पौड़ी नगर की भौगोलिक स्थिति पूर्णतया पर्वतीय है, यहां कि निर्मल जलवायु, वनाच्छादित पर्वत श्रृंखलायें इस स्थान को मनमोहक बनाती हैं । सैकड़ों किलोमीटर में फैले विस्तृत हिमालय की हिमशिखरों जैसे बन्दरपूंछ (६३१५ मी०), स्वर्गरोहिणी (६२५४ मी०), नीलकण्ठ (६१३३ मी०), गंगोत्री समूह (६७२८ मी०), भागीरथी (६८५६ मी०), केदारनाथ (६९४२ मी०), जोनली व त्रिशूली (७०६८ मी०), चौखम्बा (७१२२ मी०), हाथीपर्वत (७१४० मी०) व नंदादेवी (७८१८ मी०) की हिमाच्छादित मनोरम दृश्यावलियों का अवलोकन यहां से वर्षभर किया जा सकता है। पौड़ी नगर के समीप ही स्थित पौड़ी गांव के नाम पर यहां का नाम पौड़ी हुआ । गढ़वाली में पोड़ शब्द का अर्थ होता है "चट्टान" संभवतया पौड़ी गांव के पूर्वज इस पोड़ पर आकर बसे थे जिसका अपभ्रंश आज पौड़ी के नाम से जाना जाता है।
अलकनन्दा और नयार नदियां पौड़ी जनपद की मुख्य नदियों में गिनी जाती हैं। गढ़वाली व हिन्दी भाषा यहां की मुख्य बोली है । पौड़ी जनपद ९ तहसीलों (पौड़ी, लैन्सडाउन, कोटद्वार, थैलीसैंण, धुमाकोट, श्रीनगर, सतपुली, चौबट्टाखाल एवं यमकेश्वर) तथा १५ विकासखंडों (कोट, कल्जीखाल, पौड़ी, पाबों, थैलीसैंण, बीरोंखाल, द्वारीखाल, दुगड्डा, जयहरीखाल, एकेश्वर, रिखणीखाल, यमकेश्वर, नैनीडांडा, पोखड़ा, खिर्सू) में बंटा है ।
आवागमन के मुख्य साधनों में गढ़वाल मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड (जीएमओयू लि.), व उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसें हैं जो पौड़ी जनपद को कुंमाऊं, उत्तरप्रदेश, दिल्ली व उत्तराखण्ड के अन्य जनपदों से जोड़ती हैं। साथ ही जनपद के सभी मुख्य नगरों में टैक्सी यूनियन भी हैं जो कि वर्ष भर निरंतर पर्यटकों का आवागमन आसान करती हैं। पौड़ी जनपद का एक मात्र रेलवे स्टेशन लगभग १०८ किमी० कि दूरी पर कोटद्वार में स्थित है । इस एतिहासिक रेलवे स्टेशन की स्थापना ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष १८८९ में की गई थी । पौड़ी जनपद का निकटतम एअरपोर्ट जौलीग्रांट देहरादून स्थित है । जो कि पौड़ी से १५५ किमी० व कोटद्वार से १२० किमी० की दूरी पर स्थित है ।
पौड़ी जनपद के पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम सर्दियों मे अत्यधिक ठण्डा एवं गर्मियों में सुहावना रहता है। गर्मियों में पौड़ी जनपद के कोटद्वार तथा भाबर क्षेत्र में तेज गर्मी होती है बाकी जगह मौसम सुहावना रहता है । वर्षाकाल में यहां काफ़ी वर्षा होती है तथा चारों तरफ हरियाली रहती है । सर्दियों में पौड़ी जनपद के कुछ पर्वतीय स्थानों पर बर्फवारी भी होती है बाकी स्थानों में मौसम ठण्डा रहता है ।