Sunday December 15, 2024
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अल्मोड़ा

जनपद अल्मोड़ा अपनी असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, उत्कृष्ट हस्तशिल्प, स्वादिष्ट भोजन और वन्य जीवन के लिए जाना जाता है। लगभग ३०९० वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्रफल में फैला जनपद अल्मोड़ा समुद्रतल से लगभग १६३८ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिमालय पर्वत श्रृंखला के कुमाऊं की पहाडियों पर बसा नगर अल्मोड़ा इस जनपद का मुख्यालय है। अल्मोड़ा जनपद के उत्तर में चमोली एवं पिथौरागढ़ जनपद, दक्षिण में नैनीताल एवं चंपावत जनपद, पूर्व में पिथौरागढ़ जनपद एवं पश्चिम में जनपद पौड़ी गढ़वाल स्थित हैं। प्रशासनिक दृष्टि से यह जनपद नौ तहसीलों (भाकियासैण, रानीखेत, अल्मोड़ा, सल्ट, चौखुटिया, सोमेश्वर, द्वाराहाट, भनोली, जैंती) में तथा ग्यारह सामुदायिक विकासखण्डों (भटरोजखान, भाकियासैण, चौखुटिया, धौलादेवी, द्वाराहाट, हाट, लामगढ्डा, सल्ट, स्यल्द, तौड़ा, ताड़ीखेत) में विभक्त है। जनपद का जनसंख्या घनत्व १९८ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर, साक्षरता दर ८१.०६% (पुरुष: ९३.५७% तथा स्त्री: ७०.४४%) एवं लिंगानुपात १०००:११४२ है।

पौराणिक प्रसंगों में स्कन्दपुराण के मानसखण्ड के अनुसार इस क्षेत्र को रामक्षेत्र के नाम से संबोधित किया गया है तथा यह उल्लेख किया गया है कि यह स्थान हिमालय की त्रिशूल शिखर की ओर मुहं किये हुये घोड़े की पीठ के समान पर्वत पर स्थित है। एतिहासिक जानकारियों तथा घटनाक्रमों के आधार पर कहा जा सकता है कि कुमाऊं का सर्वप्राचीन राजवंश कत्यूरी राजवंश था जो कि अयोध्या के सूर्यवशीं नरेशों के वंशज थे। यह क्षेत्र कत्यूरी राजा बिच्छलदेव के शासन क्षेत्र में आता था लेकिन उन्होने इसे गुजराती ब्राह्मण श्रीचंद तिवारी को दान में दे दिया। इस स्थान की नौसर्गिक सुंदरता को देखते हुये वर्ष १५६० में चंद राजा कल्याणचंद द्वारा चंद राजवंश की राजधानी चंपावत से अल्मोड़ा में स्थानांतरित कर दी गई। उस समय इस स्थान को आलमनगर के नाम से बसाया गया था । अल्मोड़ा नगर की स्थापना को लेकर स्थानीय लोगों में एक लोककथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि लगभग ६०० वर्ष पहले कुमाऊं का एक राजा शिकार खेलते खेलते अल्मोड़ा की घाटी के घने जंगल में पहुचं गया। शिकार का इंतजार करते करते उसने देखा कि झाड़ियों में से एक खरगोश निकला जो अचानक ही चीते में बदल गया और फिर राजा की दृष्टि से ओझल हो गया । राजमहल लौटकर राजा ने पण्डितों से इस घटना का अर्थ जानना चाहा तो पण्डितों ने कहा कि "जहां चीता दृष्टि से ओझल हो जाये वहां एक नया नगर बसाना चाहिये, क्योंकि चीते केवल उसी स्थान से भाग जाते हैं जहां मनुष्यों को एक बड़ी संख्या में बसना हो" । इस प्रकार नया नगर बसाने का काम शुरू हुआ और लगभग ६०० वर्ष पूर्व अल्मोड़ा शहर की नींव पड़ी। अल्मोड़ा की स्थापना को लेकर इस लोककथा में चाहे सच्चाई कितनी भी रही हो परन्तु वर्ष १५६३ से १७९० ई० तक अल्मोड़ा का धार्मिक, भौगोलिक और एतिहासिक महत्व कई दिशाओं में अग्रणी रहा। इसी बीच कई महत्वपूर्ण एतिहासिक एवं राजनैतिक घटनायें भी घटीं। सांस्कृतिक एवं साहित्यिक दृष्टियों से भी अल्मोड़ा समस्त कुमाऊं अंचल का प्रतिनिधित्व करता रहा।

सन १७९० ई० से कुमाऊं अंचल पर गोरखाओं का आक्रमण होने लगा था। गोरखाओं ने कुमाऊं तथा गढ़वाल पर आक्रमण ही नहीं किया बल्कि अपना राज्य भी स्थापित किया। सन १७९७ ई० में गोरखाओं ने अल्मोड़ा को छीनकर  नेपाल में मिला लिया। सन १८१६ ई० में अंग्रेजों की मदद से गोरखा पराजित हुये । लड़ाई के पश्चात "सुगौली संधि" हुई जिसके फलस्वरुप अनेक पहाड़ी स्थानों के साथ ही अल्मोड़ा पर भी अंग्रेजों का अधिकार हो गया और इस क्षेत्र में अग्रेंजों का राज्य स्थापित हो गया ।

शिक्षा कला तथा संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। आज भी कुमाऊं क्षेत्र में कत्यूरी एवं चन्द राजवंशियों द्वारा बनवाये गये किले तथा मन्दिर इस क्षेत्र के ५०० वर्षों से भी पुराना गौरवशाली इतिहास एवं सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण देते हुए मौजूद हैं।  कहा जाता है कि अल्मोड़ा शब्द की उत्पत्ति इस क्षेत्र में उगने वाली एक घास "अल्मोड़ा" के नाम पर है जो कि सूर्यवंशी कत्यूरी राजाओं द्वारा बनाये गये मन्दिरों के ताम्रपत्रों एवं मूर्तियों को चमकाने के लिये प्रयोग की जाती थी।

जनपद की मुख्य नदियों में रामगंगा, कोसी तथा सुयाल नदियां हैं । जनपद के प्रमुख कृषि उत्पाद चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा, चाय, सेब, आड़ू, खुबानी, पूलम हैं। तथा मयूर, ग्रे बटेर, काला तीतर,  चिड़िया, चकोर, मोनाल तीतर, बाघ, चीतल, तेंदुआ, लोमड़ी, गोराल, हिम तेंदुआ, काले भालू जनपद में पायी जाने वाली जीव जन्तुओं की मुख्य प्रजातियां हैं। जनपद का मौसम सर्दियों में ठण्डा तथा गर्मियों में सुहावना रहता है। ऊंचाई वाले स्थानों में सर्दियों में जमकर हिमपात होता है। जनपद का औसत तापमान ३१.०३ डिग्रीसे० गर्मियों में तथा १३.६० डिग्रीसे० सर्दियों मे रहता है। जुलाई से सितंबर तक जनपद में भारी वर्षा होती है । जनपद में औसतन ९४५ मिमी० वर्षा होती है।

आवागमन के मुख्य साधनों में कुमाऊं मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड (केएमओयू लि.), व उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसें हैं जो अल्मोड़ा जनपद को देहरादून, उत्तरप्रदेश, दिल्ली व उत्तराखण्ड के अन्य जनपदों से जोड़ती हैं। साथ ही जनपद के सभी मुख्य नगरों में टैक्सी यूनियन भी हैं जो कि वर्ष भर निरंतर पर्यटकों का आवागमन आसान करती हैं। जनपद का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन लगभग ९० किमी० कि दूरी पर काठगोदाम में स्थित है । जनपद का निकटतम एअरपोर्ट पंतनगर में स्थित है जो कि अल्मोड़ा से लगभग १२७ किमी० की दूरी पर स्थित है

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