नीलकण्ठ में भगवान महादेव के स्वयं-भू लिंग के रूप में प्रकट होने के समय से पौराणिक काल तक यहां अनेकों प्रसिद्ध मुनिगण आकर जप-तप करते रहे। पौराणिक युग के पश्चात भगवान आद्यशंकराचार्य के उदय होने तक यहां अनेक सिद्धगण रहकर तपस्या करते रहे। उनमें से एक सिद्धबाबा बहुत प्रसिद्ध हैं। श्री नीलकण्ठ महादेव से जी लगभग आधा किलोमीटर दूर रानी की कोठी के पास एक शिला पर सिद्धबाबा का स्थान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकराचार्य के आगमन से पूर्व यही सिद्धबाबा श्री नीलकण्ठ की पूजा करते थे। कहा जाता है कि भगवान आद्यशंकराचार्य के पूर्वकाल से आज तक ये जीवित हैं और कभी-कभी रात्रि में आकर भगवान नीलकण्ठ की पूजा अर्चना कर जाते हैं। उनके स्थान पर उनकी पूजा स्वयं ही हो जाती है। वर्ष में एक बार उनका ध्वज बदला जाता है। सिद्धबाबा के मन्दिर में कलावा को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। मन्दिर में बाबा छोटूगिरी जी महाराज के अलावा अंजनिसुत पवनपुत्र हनुमान जी की वरद मुद्रा में आदमकद मूर्तियां स्थापित है। मन्दिर में सिद्धबाबा का धूना आज भी स्थापित है। पर्वत के शिखर पर स्थित सिद्धबाबा का यह मन्दिर भव्यता एवं विशालता के लिये प्रसिद्ध है। नीलकण्ठ आने वाले भक्त बाबा के दर्शन के लिये अवश्य आते हैं। सिद्धबाबा के मन्दिर से पूरे नीलकण्ठ परिसर, बाजार, घाटी में संगम के नयनाभिराम दर्शन होते हैं। वर्तमान में मन्दिर की व्यवस्था प्रबन्धन तथा पूजा-अर्चना नीलकण्ठ मन्दिर की भांति श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी कनखल द्वारा संचालित है। शिवरात्रि के अवसर पर जब नीलकण्ठ मन्दिर में तीन दिवसीय मेला चलता है तब यहां भी श्रद्धालु आकर सिद्धबाबा के दर्शन कर कृतार्थ होते है।
नीलकण्ठ महादेव की गणना उत्तर भारत के मुख्य शिवमन्दिरों में की जाती है संभवतया इसीलिये भगवान नीलकण्ठ महादेव सर्वाधिक लोकप्रिय व महत्वपूर्ण है। नीलकण्ठ महादेव का मन्दिर जनपद पौड़ी के यमकेश्वर विकासखण्ड के अन्तर्गत गांव पुण्डा...
ऋषिकेश लक्ष्मणझूला से लगभग २३ किलोमीटर यमकेश्वर मार्ग पर गरूड़चट्टी से कुछ आगे चलकर पीपलकोटी (नीलकण्ठ डाईवर्जन) के पास बायीं तरफ स्थित पर्वत के शिखर पर एक भव्य मन्दिर के दर्शन होते हैं, यह मन्दिर मां बालकुमारी के नाम स...
नीलकण्ठ के समीप ब्रह्मकूट पर्वत के शिखर पर भौन गांव में स्थित है श्री भुवनेश्वरी सिद्धपीठ। यहां तक पहुचने के लिये नीलकण्ठ से दो रास्ते हैं पहला पैदल मार्ग है जो कि नीलकण्ठ से सिद्धेश्वर बाबा के मन्दिर होते हुये लगभग डेढ़ कि...