Thursday November 21, 2024
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शीतला माता मठ-मन्दिर, भक्तियाना श्रीनगर

शीतला माता मठ-मन्दिर, भक्तियाना श्रीनगर
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शीतला माता मठ-मन्दिर - अपर भक्तियाना श्रीनगर

शीतलामाता को राजस्थान में जगतरानी के नाम से जाना जाता है। स्थानीय नागरिकों में मन्दिर का बहुत महातम्य है। कहा जाता है कि भक्तों की मनोकामना को माता शीतला अवश्य पूरा करती है। कहा जाता है कि शंकराचार्य को यहीं पर हैजे की अत्यधिक असहाय अवस्था में अलकनन्दा नदी से जल लाती हुई एक बालिका द्वारा जल पिलाये जाने पर आरोग्य प्राप्त हुआ था और तभी उन्हे शक्तिबोध हुआ था। लोगों  का मानना है कि शीतलामाता आरोग्य की देवी हैं। विशेष रूप से प्रतिवर्ष होली के पश्चात रोग व्याधित से मुक्ति तथा आरोग्य की कामना लेकर लोग माता के मन्दिर में पूजन के लिये आते हैं।
पौड़ी-खाण्डा-करैंखाल से श्रीनगर आने वाले पैदल मार्ग पर यह मन्दिर उत्तमवाला (अपर भक्तियाना) में भैरवीधारा के दायें तरफ स्थित है। यह मन्दिर बहुत प्राचीन मन्दिर है परन्तु देवलगढ़ १८१२ ई० के गोरखा फरमान में दस हजार पैन्तीस रुपयों में जिन ६६ मन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ था उनमें शीतला मन्दिर श्रीनगर का भी नाम है। इतिहासकार डा० शिव प्रसाद नैथानी के अनुसार शीतला माता का यह मन्दिर ग्रामीण शैली में बना हुआ है। परन्तु मन्दिर परिसर में पड़े विशाल प्रस्तरखण्डों एवं शिलापटलों को देखकर प्रतीत होता है कि यह मन्दिर विशाल कटवां पत्थरों का बना हुआ था। मन्दिर का गर्भगृह चौकोर बना हुआ है इसका बरामदा दोनों ओर से खुला हुआ है। गर्भगृह में अंगराग से पुती हुई मूर्तियां रखी हुई है। मन्दिर के बाहर रास्ते के किनारे खड़े दो विशाल काले लिंग स्वरूप पत्थरों की देवी के दूतों के रूप में पूजा अर्चना होती आई है। परंम्परा के अनुसार होलिकादहन के उपरान्त मातायें अपने बच्चों को साथ ले जाकर भक्ति तथा उत्साह के साथ शीतलामाता की पूजा कर उन पर देवी प्रसाद स्वरुप पीठे का टीका लगाती हैं। प्रत्येक सोमवार तथा शुक्रवार को मन्दिर में भक्तगणों का तांता लगा रहता है। नवरात्रों में कभी कभी यहां चण्डीपाठ भी होता है।



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