कल्याणेश्वर मन्दिर श्रीनगर के गणेश बाजार में स्थित है। यह श्रीनगर के नये मन्दिरों में सबसे भव्य और दर्शनीय मन्दिर है। कल्याणेश्वर महादेव मन्दिर का ना ही कोई पौराणिक सन्दर्भ मिलता है ना ही ऐतिहासिक महत्व, यह मन्दिर कुछ दशक पुराना है। मन्दिर में प्रवेश करते ही एक गलियारे के ऊपर विराटरूप भगवान की विशाल प्रतिमा लगी हुई है। मन्दिर में सबसे अधिक दर्शनीय भगवान शिव की विशाल प्रतिमा है, जिसको देखने लोग दूर दूर से आते हैं। यह मानवाकार भव्य प्रतिमा मन्दिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित है जो कि श्वेत संगमरमर से बनी हुई है। गर्भगृह में उमा महेश्वर की आसनस्थ युगलमूर्ति विराजमान है। शिव बांयां पांव टेके हैं तथा दांयां मोड़े हैं। उनका दाहिना हाथ वरद मुद्रा में है तथा माता पार्वती के स्कन्ध पर है। महादेव के सिर पर जटाजूट, ब्याल तथा गंगां की धारा को मूर्तिकार ने कुशलता से उकेरा है। शिवमूर्ति चतुर्भुज है तथा शेष दो हाथों में त्रिशूल तथा दर्पण हैं। मूर्ति के पीछे से उठा सर्पफन तथा नीचे आसन में वाहन नन्दी का अंकन भी आकर्षक है। बांयी तरफ पार्वती जी बालगणेश को गोदी में लिये शेर की सवारी पर हैं। मन्दिर की प्रबन्धन व्यवस्था, पूजा-पाठ तथा सदावर्त "कल्याणेश्वर ट्रस्ट" की देखरेख में की जाती है। मन्दिर में प्रत्येक जन्माष्टमी, शिवरात्रि एवं रामनवमी को भव्य कथा, प्रवचन एवं पाठ का आयोजन होता है। कल्याणेश्वर ट्रस्ट का एक पुस्तकालय तथा एक वाचनालय है जो कि रामलीला ग्राऊन्ड की गली पर है। इसके साथ ही ट्रस्ट का एक नि:शुल्क होम्योपैथिक दवाखाना है। ट्रस्ट के अधीन मन्दिर के साथ ही दोमंजिली तथा आधुनिक सुविधाओं से संपन्न लगभग ३० कमरों की एक धर्मशाला भी है जिसे "सन्तलाल धर्मशाला" के नाम से जाना जाता है। इसमें यात्रियों को बिना किसी शुल्क के कमरे मिल जाते हैं। कमरों में बिजली के प्रकाश, पंखों, बिस्तर आदि का भी नि:शुल्क प्रबन्ध है। आग्रह पर धर्मशाला से भोजन पकाने हेतु नि:शुल्क बर्तन भी मिल जाते हैं। ट्रस्ट का एक सुविधा संपन्न अतिथि गृह भी है जिससे संत महात्माओं तथा विशिष्ट तीर्थयात्रियों को नि:शुल्क सेवा दी जाती है। कल्याणेश्वर ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष लगभग ५००० कंबल वितरण बदरीनाथ धाम यात्रा पर जाने वालों को किया जाता है। ट्रस्ट द्वारा निराश्रित विधवाओं तथा वृद्ध व्यक्तियों को पेंशन, तथा गरीब विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाती है।
गढ़वाल के पांच महातम्यशाली शिव सिद्धपीठों किलकिलेश्वर, क्यूंकालेश्वर, बिन्देश्वर, एकेश्वर, ताड़केश्वर में किलकिलेश्वर का प्रमुख स्थान है। श्रीनगर के ठीक सामने अलकनन्दा के तट पर विशाल चट्टान पर स्थित यह मन्दिर युगों से अलकनन्...
कमलेश्वर महादेव के उत्तर में अलकनन्दा तट पर स्थित केशोराय मठ उत्तराखण्ड शैली में बना हुआ अत्यन्त सुन्दर मन्दिर है। बड़ी-बड़ी प्रस्तर शिलाओं से बनाये गये इस मन्दिर की कलात्मकता देखते ही बनती है। कहा जाता है कि संवत् १६८...
श्रीनगर में यह मन्दिर अत्यन्त प्रसिद्ध माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि ब्रह्महत्या के भय से भागते हुये भगवान शिव ने इस स्थान पर नागों अर्थात सर्पों को छुपा दिया था। जिस गली में यह मन्दिर स्थित है उसे स्...
कटकेश्वर महादेव (घसिया महादेव) श्रीनगर से रूद्रप्रयाग जाने वाले मार्ग पर श्रीनगर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर मुख्य मार्ग पर स्थित है "कटकेश्वर महादेव"। सड़के दायें दक्षिण दिशा में स्थित इस मन्दिर का निर्...
कंसमर्दिनी सिद्धपीठ की गणना गढ़वाल के देवी सिद्धपीठों में की जाती है। परंपराओं के अनुसार इसको शंकराचार्य के आदेश से विश्वकर्मा ने बनाया था। पुराणों में प्रसिद्ध है कि कंस द्वारा जब महामाया को शिला पर पटका गया था तो वे उसके ...
पालीटेक्निक कालेज श्रीनगर एवं एस० एस० बी० के मध्य में गंगातट के केदारघाट के ऊपर स्थित शंकरमठ श्रीनगर का प्राचीन मन्दिर है। उत्तराखण्ड शैली में बना हुआ यह मन्दिर बहुत आकर्षक है। हालांकि शंकरमठ नाम से इस मन्दिर मठ के शैव होन...