कटकेश्वर महादेव (घसिया महादेव) श्रीनगर से रूद्रप्रयाग जाने वाले मार्ग पर श्रीनगर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर मुख्य मार्ग पर स्थित है "कटकेश्वर महादेव"। सड़के दायें दक्षिण दिशा में स्थित इस मन्दिर का निर्माण आधुनिक मन्दिरों की तरह ही सीमेंट एंवं कंक्रीट से हुआ है। मन्दिर के अन्दर १८९४ के बाद का श्वेत आभा का सुन्दर शिवलिंग स्थापित है। मन्दिर का परिक्रमा पथ सीमेंट-कंक्रीट की छत से ढका हुआ है। इस मन्दिर की गणना गढ़वाल के प्राचीन शिव मन्दिरों में की जाती है। स्कन्दपुराण केदारखण्ड से प्राप्त विवरण के अनुसार यहां एक बार शिव तथा पार्वती प्रणय-क्रियाओं में निमग्न थे उस समय इस स्थान पर पार्वती का कंगन (कटक) गिर गया था अत: यह स्थान कटकेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कहा जाता है कि कभी कटकेश्वर महादेव का विशालकाय मन्दिर अलकनन्दा के तट पर स्थित था जिसकी रचना भी आदिगुरू शंकराचार्य की अनुश्रुतियों से जुड़ी थी परन्तु वर्ष १८९४ में आई विरही की बाढ़ उस मन्दिर को बहा ले गई। जिसके उपरान्त उसी मन्दिर की अवशिष्ट मूर्तियों को यहां स्थानीय नागरिकों द्वारा स्थापित करके यहां आधुनिक मन्दिर का निर्माण किया गया। कहा जाता है कि विरही की बाढ़ के बाद श्रीनगर वासियों की तरह विस्थापित इस मन्दिर के निर्माण हेतु धनाई ठाकुरों ने १४ नाली जमीन दानस्वरुप प्रदान की थी।
कटकेश्वर महादेव का दूसरा नाम घसिया महादेव है जिसके बारे में एक और अवधारणा प्रचलित है। कुछ लोगों का मानना है कि कटकेश्वर शब्द की उत्पत्ति स्थानीय भाषा गढ़वाली के "कटक" शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है घास। कहा जाता है कि दूर से घास लेकर आने वालि स्त्रियां इस स्थान पर घास को टिकाकर (रखकर) विश्राम किया करती थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस स्थान पर गाय-भैसों के लिये पुष्टकर घास होती थी अत: यह स्थान घसिया महादेव कहलाया।
कल्याणेश्वर मन्दिर श्रीनगर के गणेश बाजार में स्थित है। यह श्रीनगर के नये मन्दिरों में सबसे भव्य और दर्शनीय मन्दिर है। कल्याणेश्वर महादेव मन्दिर का ना ही कोई पौराणिक सन्दर्भ मिलता है ना ही ऐतिहासिक महत्व, यह मन्दिर कुछ दशक ...
गढ़वाल के पांच महातम्यशाली शिव सिद्धपीठों किलकिलेश्वर, क्यूंकालेश्वर, बिन्देश्वर, एकेश्वर, ताड़केश्वर में किलकिलेश्वर का प्रमुख स्थान है। श्रीनगर के ठीक सामने अलकनन्दा के तट पर विशाल चट्टान पर स्थित यह मन्दिर युगों से अलकनन्...
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पालीटेक्निक कालेज श्रीनगर एवं एस० एस० बी० के मध्य में गंगातट के केदारघाट के ऊपर स्थित शंकरमठ श्रीनगर का प्राचीन मन्दिर है। उत्तराखण्ड शैली में बना हुआ यह मन्दिर बहुत आकर्षक है। हालांकि शंकरमठ नाम से इस मन्दिर मठ के शैव होन...
शीतलामाता को राजस्थान में जगतरानी के नाम से जाना जाता है। स्थानीय नागरिकों में मन्दिर का बहुत महातम्य है। कहा जाता है कि भक्तों की मनोकामना को माता शीतला अवश्य पूरा करती है। कहा जाता है कि शंकराचार्य को यहीं पर हैजे की अत्...
श्रीनगर स्थित जैन मन्दिर अपनी कलात्मकता तथा भव्यता के प्रसिद्ध है। यह जैन धर्म की दिगम्बर शाखा के अनुयायियों का मन्दिर है। कहा जाता है कि १८९४ ईसवी की विरही की बाढ़ से पहले यह मन्दिर पुराने श्रीनगर में स्थित था परन्तु बाढ़ म...