नन्दा देवी राजजात के पड़ाव - दसवाँ पड़ाव - नन्दकेशरी से फल्दिया गाँव
Vinay Kumar Dogra । August 28, 2014 | पर्व तथा परम्परा |
नन्दा देवी राजजात के पड़ाव - दसवाँ पड़ाव - नन्दकेशरी से फल्दिया गाँव
आज दिनांक २७-अगस्त-२०१४ को श्री नन्दादेवी राजजात नन्दकेशरी से फल्दिया गाँव के लिये प्रस्थान करेगी। रास्ते में भेंगलझाड़ी, पूर्णा सेरा में पूजा होती है। विश्वास किया जाता है कि जब दैत्य भगवती का पीछा कर रहे थे तो भगवती पूर्णसेरा में भेंगलझाड़ी में छिप गई। सेरे की फसल में दैत्य ने रास्ता ढूंढ लिया। नंदा ने क्रोधित होकर श्राप दिया कि भविष्य में इन खेतों में गेहूँ नहीं होगा। जिस झाड़ी में भगवती छिपी थी वह हमेशा हरी रहती है। उसमें पतझड़ नहीं होता। पूर्णा सेरे में मन्दिर भी है। यहाँ पर राजजात में विशेष पूजा होती है। इसके बाद देवाल आता है। यह ब्लाक मुख्यालय है। इस अवसर पर यहां बड़ा मेला लगता है। इसके बाद इच्छोली, हाट कल्याणी में पूजा पाकर देवी लाटू मन्दिर में पहुँचती है। यह मन्दिर एक बडे़ पत्थर के ऊपर लिंगाकार में स्थित है। कैल नदी की घाटी में दायीं ओर स्थित है फल्दिया गाँव। यहां पर रेवाती देवता, गुल्लमोहर, काली का मन्दिर, लाटू, मदन दाणू, पडियार गोरिल का मन्दिर है।
लेख साभार : श्री नन्दकिशोर हटवाल
All articles of content editor | All articles of Category