प्रकृति की गोद जैसे मनोरम और सुरम्य वातावरण में उत्तरकाशी के सीमान्त क्षेत्र में टौंस नदी के तट पर बसा हनोल स्थित महासू देवता मन्दिर कला और संस्कृति की अनमोल धरोहर है। लम्बे रास्ते की उकताहट और दुर्गम रास्ते से हुई थकान, मन्दिर में पहुंचते ही छूमन्तर हो जाती है और एक नयी ऊर्जा का संचार होता है। "महासू" देवता एक नहीं चार देवताओं का सामूहिक नाम है और स्थानीय भाषा में महासू शब्द "महाशिव" का अपभ्रंश है। चा...
संपूर्ण उत्तराखण्ड देवभूमि के नाम से विख्यात है। ऋषि मुनियों की यह पुण्यभूमि आज भी अनेक देवी देवताओं के नाम पर प्रतिष्ठित मन्दिरों को अपनी गोद में आश्रय दिये हुये भारतीय संस्कृति को पोषित कर रही है। प्राचीनकाल से ही भक्तगण अपनी निष्ठा और भावना से अपने ईष्ट की उपासना करते रहते हैं। यहां का जनमानस शाक्त और शैव धर्मावलम्बी रहा है। यही कारण है कि इस तपोभूमि में सर्वत्र शक्तिपीठ एवं शिवालय विद्यमान हैं। उत्तराखण्ड के इन्ही मुक...
देवलगढ़ का उत्तराखण्ड के इतिहास में अपना एक अलग ही महत्व है। प्राचीन समय में उत्तराखण्ड ५२ छोटे-छोटे सूबों में बंटा था जिन्हें गढ़ के नाम से जाना जाता था और इन्ही ने नाम पर देवभूमि का यह भूभाग गढ़वाल कहलाया। १४वीं शताब्दी में...
पौड़ी शहर का एक मात्र हनुमान मन्दिर मुख्य बस स्टेशन से लगभग ४ किलोमीटर की दूरी पर कण्डोलिया-बुवाखाल मार्ग पर स्थित है। यहां से हिमालय की विस्तार पर्वत श्रृखंला का दर्शन पर्यटक एवं श्रद्धालुओं के लिये किसी विस्मय से कम नहीं ...
नईटिहरी सांईचौक से कालेज रोड़ पर लगभग १ किलोमीटर चलने के बाद ९सी मुहल्ला मौलधार में सड़क के बायीं तरफ एक मन्दिर का मुख्यद्वार दिखाई देता है। मुख्यद्वार से प्रवेश कर कुछ सीढ़ियां उतरने के बाद हनुमान मन्दिर दिखाई देता हैं। पुरा...
आदेश्वर महादेव मन्दिर "रानीगढ़" पहुंचने के लिये पौड़ी मुख्यालय से कण्डोलिया होते हुये पौड़ी-कांसखेत-सतपुली मोटर मार्ग पर लगभग १८ कि०मी० का सफर तय करके अदवानी नामक एक छोटे से गांव तक आना पड़ता है। यह पूरा क्षेत्र गढ़वा...
श्रीनगर एस०एस०बी कैम्पस के ठीक सामने गंगापार अलकनन्दा के दांयें किनारे पर २०० फीट ऊंची चट्टान पर रणिहाट नामक स्थान है, जहां पर राजराजेश्वरी देवी का बहुत प्राचीन तथा विशाल मंदिर है। मन्दिर की ऊंचाई लगभग ३० फीट है तथा ...
बस स्टेशन पौड़ी से कुछ ही दूरी पर स्थित "लक्ष्मीनारायण मन्दिर" की स्थापना १४-फरवरी-१९१२ संक्रान्ति पर्व पर की गई थी। इस मन्दिर में स्थापित लक्ष्मी और नाराय़ण की मूर्ति सन् १९१२ पूर्व विरह गंगा की बाढ़ आने के उ...
नई टिहरी-चम्बा मोटर मार्ग पर नई टिहरी से लगभग ३ किलोमीटर बाद सुरसिहं धार पर मुख्य मार्ग से एक संकरी सी सड़क नीचे ढाल की तरफ जाती है इसी सड़क पर लगभग डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद ग्राम कण्डा (सारजूला पट्टी, विकासखण्ड चम्बा) में स...
पौड़ी शहर से ९ किलोमीटर की दूरी पर पौड़ी-देवप्रयाग राजमार्ग पर आंछरीखाल नामक स्थान पर स्थित है मां वैष्णो देवी का मन्दिर। धार्मिक एवं दर्शनीय पर्यटन के लिये यह स्थान काफी रमणीक है। यहां से हिमालय की विस्तृत दृश्यावली के साथ ...
पौड़ी से ३७ किमी दूर स्थित है नागराजा मन्दिर। उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल में जिस देवशक्ति की सर्वाधिक मान्यता है वह है भगवान कृष्ण के अवतार के रूप में बहुमान्य नागराजा की। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान कृष्ण को यह क्ष...